बस एक आँख मिली हो जिसको
वो कोयल के सुर में क्यों बोलेगा
तब कर्कश सम्बोधन काक करेगा
जब जब कोयल के सुर सुन लेगा
जन्मा हो जब काक योनि में जो
विवेक मनुज सा कहाँ से लायेगा
उसके स्वर के भी अपने से सुर हैं
जो समझेगा वो ही तो पहचानेगा
उसकी काँव-काँव में भी मधुर सुर
कोयल से तुलना जब कोई छोड़ेगा
पहचानो वो सुर मिसरी से बोलेगा
कानों में संगीत सम कागा बोलेगा
समझ सुरस सुर यूँ कोई पहचानेगा
बढ़ चढ़ फिर कागा भी रस घोलेगा
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