Wednesday, September 11, 2013

कागा

बस एक आँख मिली हो जिसको
वो कोयल के सुर में क्यों बोलेगा

तब कर्कश सम्बोधन काक करेगा
जब जब कोयल के सुर सुन लेगा

जन्मा हो जब काक योनि में जो
विवेक मनुज सा कहाँ से लायेगा

उसके स्वर के भी अपने से सुर हैं
जो समझेगा वो ही तो पहचानेगा

उसकी काँव-काँव में भी मधुर सुर
कोयल से तुलना जब कोई छोड़ेगा

पहचानो वो सुर मिसरी से बोलेगा
कानों में संगीत सम कागा बोलेगा

समझ सुरस सुर यूँ कोई पहचानेगा
बढ़ चढ़ फिर कागा भी रस घोलेगा

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