ज़िन्दगी को जियो ज़िन्दगी की तरह ज़िन्दगी खुद-ब-खुद मुस्कुरायेगी
होंगी मायूसियाँ बेवज़ह दिल में अगर उम्र बन ज़िन्दगी मुँह चिढ़ायेगी
ज़िन्दगी रंग पल पल बदलती यहाँ कभी रोना तो कभी बस हँसाएगी
होंगे सदमे यहाँ साथ खुशियाँ दर-ब-दर ज़िन्दगी साथ लेकर भी आयेगी
जो भी भागेगा पीछे हमेशा यहाँ ज़िन्दगी बस मुक़म्मल मिल न पायेगी
इसके संग संग चलो फ़र्ज़ अपना करो इसकी रफ़्तार अपनी दिखायेगी
काम किस्मत से नहीं बनते हैं काम से ख़ुद को देखो खुदाई नज़र आयेगी
चाहे आज़मा देख लो मुख़्तसर बात है बन्दगी ज़िन्दगी का रुख करायेगी
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