Friday, September 20, 2013

मौसम की बयार से

मौसम की बयार से हो तुम भी तो
चाहे से अनचाहे भी तुम आ जाते हो

बारिश की रिमझिम से बरसाते हो
भीगे मौसम में ज़ज्बात भिगाते हो

कभी बन बहार ये मन हर्षा जाते हो
फिर भी पतझड़ ऐसा क्यों ले आते हो

सर्द भी और गर्म भी हवा तुम लाते हो
पर वसंत की खुशबू भी तो ले आते हो

हर मौसम मन की तरंग जगा जाते हो
तन मन की मादकता महका जाते हो

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