Saturday, April 2, 2016

धूमकेतु सी!

जो भी बदला
अधिकतर यहाँ
समय ने बदला
'स्वयं' ने बदला
बदलने के वादे
वादे रह गए
बदलने वाले
करेले थे
अब बन गए
नीम चढ़े
सोच वही
सरकारें नई
शासन तंत्र वही
मुलम्मे चढ़ाकर
दिखाया जाता है
पुराना सामान
निकली चमक
वही पुराना सत्य
सपनों से वादे थे
लोग निहारते हैं
आसमान को
नई चमकती चीजें
गायब होती हुई
धूमकेतु सी!

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