Monday, April 18, 2016

आज नहीं तो कल

हैरान बिलकुल नहीं हूँ मैं
तुमने अपनी तरह सोचा
प्रायः सब यही करते हैं
शायद कमोबेश मैं भी
फ़र्क़ तो पड़ता है लेकिन
सिर्फ अपनी सोचे कोई
ये तभी मान्य हो सकता है
अग़र कोई अकेला ही हो
लेकिन तब भी सवाल होगा
अकेला भी अकेला कहाँ है
अनगिनत लोग है शामिल
उसके ज़िंदा रहने के साथ
कल, आज और कल भी
मैं और नहीं समझाऊँगा
इससे ज़्यादा तुमको
शायद इसी उम्मीद में
तुम खुद एहसास कर लोगे
आज नहीं तो कल कभी

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