किसने ये रीत बनाई
बहनों का कद छोटा होगा
आदमी-आदमी में फ़र्क़ होगा
पैसा, ख़ुदा, रुबाब, ओहदे
बस ख़ास लोगों के होंगे
रंग, जाति, क़ौम, मज़हब
अलग-अलग चश्मों से दीखेंगे
ग़रीब के काम से, नाम से
अमीर और अमीर बनते रहेंगे
ज़म्हूरियत के रंगों को
अमीर और सियासी लोग भरेंगे
क़ानून की बातों की सिर्फ लिखाई
किसने ये रीत बनाई?
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