तो कुछ यूँ ज़रा बरस जाना
मेरी उम्मीदों में सिमटीं
हैं जो खुशियाँ बरसा जाना
सूखे से बन गए हैं
मेरे जो भी अरमान
अपनी फितरत से तू
मेरा तन-मन भिगो जाना
तेज झोंका वो बारिश का
ज़रा हमको दिखा जाना
बड़ी शिद्दत से सब सम्भाला है
तू भी जलवा ज़रा दिखा जाना
कहीं आँधी कहीं गर्मी
अब क़रार आये तो कैसे
नन्हीं-नन्हीं फुहारों से
ज़रा शीतल मन करा जाना
अब के बादल जो तू बरसे
तो कुछ यूँ ज़रा बरस जाना
मेरी उम्मीदों में सिमटीं
हैं जो खुशियाँ बरसा जाना
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