Friday, April 15, 2016

अब के जो बरसे

अब के बादल जो तू बरसे
तो कुछ यूँ ज़रा बरस जाना
मेरी उम्मीदों में सिमटीं
हैं जो खुशियाँ बरसा जाना

सूखे से बन गए हैं
मेरे जो भी अरमान
अपनी फितरत से तू
मेरा तन-मन भिगो जाना
तेज झोंका वो बारिश का
ज़रा हमको दिखा जाना

बड़ी शिद्दत से सब सम्भाला है
तू भी जलवा ज़रा दिखा जाना
कहीं आँधी कहीं गर्मी
अब क़रार आये तो कैसे
नन्हीं-नन्हीं फुहारों से
ज़रा शीतल मन करा जाना

अब के बादल जो तू बरसे
तो कुछ यूँ ज़रा बरस जाना
मेरी उम्मीदों में सिमटीं
हैं जो खुशियाँ बरसा जाना

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