शायद हर किसी की
सब दौड़ में शामिल
अनन्त सी यात्रा की
सब कुछ मेरा-अपना
चिंता नहीं किसी की
संवेदनायें मृतप्राय
लगभग सभी की
अपनों की ही हो
या और किसी की
सिसकियाँ भी कोई
नहीं सुनता किसी की
अनसुना करते हैं
एक और सिसकी
समझ कर सोच से
मेरी-तेरी और उसकी
क्या यही बनायेंगे
ये दुनिया सभी की?
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