अब हवा के झोंकों से
लोग भी यहाँ
कुछ यूँ ही बन गए
हवा के झोंकों से
पल के मेहमान
आये और चले गए
अब ये शीतल नहीं
बस सिहरन ले आते हैं
फितरत इनकी ऐसी
सिर्फ हम ही नहीं
खुद भी नहीं जानते
ज़रूरत के वक़्त
उड़नछू हो जाते हैं
ये किसी के नहीं
बस किरदार हैं इनके
वो हवा के झोंके
ये हवा में झोंकें !
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