Sunday, April 3, 2016

मोहब्बत यूँ गुलो गुलज़ार

मोहबत यूँ गुलो गुलज़ार होगी
आहिस्ता आहिस्ता सारी दुनियां देखेगी
बागों सी ख़ुश्बू यहाँ फैलेंगी
उम्मीद की कलियाँ महकेंगी
आहिस्ता आहिस्ता सारी दुनियां देखेगी
तन भी मन भी हरा-भरा होगा
मन के कोनों से खुशियां झाँकेंगी
रौशनी के यूँ नए सिलसिले होंगे
अंधेरों में उजालों सी चमक दीखेगी
आहिस्ता आहिस्ता सारी दुनियां देखेगी
दिल से दिल की नई गुफ़्तगू होंगी
हर तरफ उमंगें फिर से मचलेंगी
आसमां और जमीं पर रंग बरसेंगे
मोहब्बतें फिर नए रंग घोलेंगी
आहिस्ता आहिस्ता सारी दुनियां देखेगी
मोहब्बत यूँ गुलो गुलज़ार होगी
आहिस्ता आहिस्ता सारी दुनियां देखेगी

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