Thursday, January 5, 2012

ambitions/महत्वाकांक्षाएं

गगनचुम्बी इमारतें रोज़ बौनी सी होनी लगी हैं
छोटे लगने लगे हैं अब अम्बर और सागर भी
जो है जो मिला जो पाया कम से लगने लगे हैं
महत्वाकांक्षाएं बढ़ने लगी हैं लोगों में और भी
Tallest buildings starting to look dwarf
Even the oceans and skies now look small
What anyone has or got is viewed way less
Ambitions though are only ever increasing

1 comment:

Kewal Joshi said...

सुन्दर अभिव्यक्ति- अंतहीन हैं महत्वाकांक्षा.