मेरे ज़िस्म की तक़लीफ़ से कहाँ थे बचे ज़ज्बात यहाँ
पर तुमने सोचा कोई नया ही आशियाँ बना रहे थे हम
हम तो बस जी से रहे थे ये कम ही समझ पाए थे तुम
शायद अब समझ पाओगे तुम कि किस हाल में थे हम
There was dearth of emotions due to pain in body
You thought I was busy making new home for myself
I was just living you would sure have known by now
It's time for you to understand position of myself
3 comments:
Khuda khair kare...
वाह बहुत खूब :)
@Eraji: khuda ki har bat mein khair hoga..aaj nahin to kal;)@Meenakshiji, thanks:)
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