Thursday, January 5, 2012

हर बार

जिस रोज़ तेरा दीदार हुआ था पहली बार
सोचता हूँ वो दिन आये बार बार हर बार
जिस रोज़ मुझे भुला दिया था तुमने फिर
सोचता हूँ वो दिन याद आता रहे हर बार
यहाँ मुझे अब सुकून मिलता है आकर
इन्हीं वादियों का रुख करता रहूँ हर बार
मेरी गुमशुदा मोहब्बत भटकती है यहाँ
सोचता हूँ वादियों में समाई रहें हर बार
तेरे साथ बीते चंद लम्हों की हसरत में
आज भी सब कुछ खोना चाहूँगा हर बार

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