सभी अनज़ान रफ़िकों के
हम तो क़ायल हैं हमेशा से
जिनके हर नसीब फलते हैं
मेहरबानों और खैख्वाहों से
उन्हें परवाह भला क्यों हो
चन्द रक़ीबों की अदाओं से
उनको हो संगदिली मुबारक
हमें काम है बस मोहब्बत से
उनके तेवर बदस्तूर टेढ़े सही
हमें क्या सिला बददुआओं से
1 comment:
सुंदर रचना
Post a Comment