बसा कर जिनको रखा था हमने आँखों में
बनके आँख की किरकिरी रहने लगे थे वो
हमने तो आँखें मल मल के कर दीं थी लाल
कभी एक तो कभी दूसरी को सताने लगे वो
और भी सता सता के याद हमें आने लगे थे
जब जब भी हमने सोचा कि चले गए थे वो
फिर भी हम इधर बस यही सोचते रहते थे
सूखी इन आँखों में पानी तो लाते रहे थे वो
अपने ही इस अलग कुछ अन्दाज़ में सदा
मेरी ज़िन्दगी का फिर भी हिस्सा बने थे वो
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