Tuesday, January 17, 2012

बेबसी

रात भर आपकी याद आती रही
और दिल से बगावत भी चलती रही
आपके बिन एक पल भी गुज़रता नहीं
पर ज़िन्दगी आपके बिन भी चलती रही
गुफ्तगू मन ही मन में तो होती रही
दिल की दिल से मोहब्बत भी होती रही
चाँद निकला तो था आसमाँ में कहीं
चांदनी थी मगर छुप छुप के रोती रही
मेरी मायूसियाँ मुझ पे हँसती रहीं
मेरी हालत पे फ़ब्ती भी कसती रहीं
बेवज़ह ज़िन्दगी यूँ तरसती रही
हर लिखी जो मुक़द्दर में होती रही
नींद भी मेरी आँखों की जाती रही
रात करवट पे करवट बदलती रही
बेबसी मुझसे फिर भी ये कहती रही
ज़िन्दगी में ख़ुशी की कमी भी नहीं

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