Monday, January 23, 2012

बेग़ैरत

हम तुमसे कोई बैर भाव नहीं रखते हैं
इतने बुरे नहीं जितना तुम समझते हो
हमने तो बस बेझिझक पूछा था तुमसे
तुम तो बिना कारण ही दुराव रखते हो
अपने मन की सब कह डाली थी हमने
तुम तो बस की मन में ही रख लेते हो
एक लफ्ज़ में तो मना कर नहीं पाए
अब इतना लम्बा ज़वाब क्यों देते हो
हम कोई इतने बेग़ैरत भी नहीं शायद
जो इन लफ़्ज़ों के भाव न समझते हों
और तुम! इतने भी सहज नहीं शायद
कि हम तुम्हारा मतलब न समझते हों

1 comment:

अनुपमा पाठक said...

और तुम! इतने भी सहज नहीं शायद
कि हम तुम्हारा मतलब न समझते हों
waah!