Sunday, December 2, 2012

ज़िन्दगी सा कुछ नहीं

कभी मैं परेशानियों में समझता
ज़िन्दगी बोझ के सिवा कुछ नहीं
ख़ुशियों के पलों में ये लगता था
इससे ख़ूबसूरत और कुछ नहीं
संजीदा लम्हों में महसूस होता
जीना हक़ीक़त है और कुछ नहीं
कुल मिला के देखा तो पाया मैंने
ज़िन्दगी तुम सा कुछ भी नहीं

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