दूसरों की नज़र में तोल ख़ुद को कभी
खुद की फ़ितरत के रंगों को देखा करो
जीने के सबक़ रख सब जेहन में ज़रा
बात जब भी अगर ज़िन्दगी की करो
सँग सँगी का न हो अजनबी का सही
हर सफ़र में न मंजिल को देखा करो
हो सहज अपने जीवन में हर क़दम
तुम ज़िन्दगी के सहज रूप देखा करो
ज़िन्दगी को शिकायत न समझा करो
ज़िन्दगी हँसते हँसते निक़ल जाएगी
गम की आहट अगर दे दस्तक कोई
गम न कर ये घडी भी गुज़र जाएगी
No comments:
Post a Comment