Saturday, December 15, 2012

ग़ालिब साहब ..:):)

रहिये अब ऐसी जगह चलकर, जहाँ कोई न हो,
हमसुखन कोई न हो, और हमज़ुबाँ कोई न हो ..

बेदर-ओ-दीवार सा इक घर बनाना चाहिए
कोई हमसाया न हो, और कोई पासबाँ न हो ..

पड़िये गर बीमार, तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइये, तो नौहख्वां कोई न हो .."

ग़ालिब साहब ..

हमसाया - Neighborhood / पड़ोसी
पासबाँ - Watchman / प्रहरी
नौहख्वां - Mourner / रोनेवाला, विलाप करने वाला

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