बस उम्मीद से उम्मीद लगाये रहे
पर नतीजों में कमी से मजबूर हैं
हसरतों ने ही नहीं दिया कभी साथ
कभी कोशिशों में कमी से मजबूर हैं
कल बस हालात से मजबूर थे हम
पर आज तो ज़ज्बात से मजबूर हैं
कई मौके हाथ आए थे एक से एक
क्या करें आदत से भी तो मजबूर हैं
ऐसा कुछ ख़ुदा ने नसीब लिखा है
किसी न किसी बात से मजबूर हैं
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