कितना सार्थक होगा
ये नहीं है मालूम मुझे
किन्तु कोशिश जारी है
जो भी करना है मुझे
शायद ये भी संभव है
एक नई मंजिल मिले
गंतव्य से भी बेहतर
ये भी विश्वास है मुझे
जहाँ प्रकाश दिखाई दे
वहीँ चलना ही है मुझे
कोई और दे या न दे
मेरा साथ चाहिए मुझे
1 comment:
एकला चलो रे...
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