हर रोज़ नया तो है पर पूरा नहीं पड़ता
ज़िन्दगी एक रोज़ नहीं बताया तुमको
सिलसिला है ये एक आज नहीं तो कल
सब्र करो कहीं तो ये ले जायेगा हमको
क्या मिसाल दें हम दास्ताँ की अपनी
भुला दिया है सबको बस एक खुद को
ज़मीन की हो या क्या कहें हम अपनी
आसमान से भी तो शिकायत है तुम को
Everyday is new yet isn't sufficient
Life isn't of one day I had told you
It's an happening if not today tomorrow
Have patience it will take us somewhere
What instance do I give of just myself
You have now forgotten all but just you
Not just about the Earth or about myself
You have complaints about the heavens too!
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