Sunday, February 17, 2013

ज़रा झाँकना

बात अपनी कहो या फ़िर अपनी ही सुनो
मेरी बातों का मतलब भी ज़रा भाँपना
अपनी कुर्सी पे बैठे भी क्या आँकना
ख़ुद को दफ्तर के बाहर ज़रा झाँकना

दम दिखाते हो कमज़ोर लोगों पे जो
उनकी हिम्मत से ख़ुद को ज़रा तोलना
हो दिखाना जो तुम को ये दम आपका
राह चलते की कोशिश के हमदम बनो

कैसे सोओगे अब चैन की नींद तुम
नींद में डर है कोई पकड़ तुम को ले
इसके बदले कि तुम अपनी झोली भरो
देश की तुम है बेहतर तिजोरी भरो

तुम अलग कुछ नहीं हो किसी और से
तुम न मानो तो गिरहबां ज़रा झाँक लो
रखते हो जो नज़र तुम ये जग पर बुरी
हर बुरे पर बुरी तुम नज़र जो करो

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