Saturday, February 2, 2013

भ्रष्टाचारी


पहचान सको तो पहचानो तुम उन लोगों को
तुम्हारे बीच ही और कोई परिचय नहीं होता
उनको केवल अपने हित से सरोकार है बस
भ्रष्टाचारी का अपना कोई मज़हब नहीं होता
किसी का भी इस्तेमाल करना हैं ख़ूब जानते
उनका कोई दल नहीं कोई इतिहास नहीं होता
औरों के कंधे से ही वो अपनी बन्दूक चलाते
उनका अपने का कोई सियासी दांव नहीं होता
सब कुछ सर्वहित के अल्फ़ाज़ हैं वो दोहराते
बस एक ही बात उनका कोई ईमान नहीं होता
जब तक मुमकिन हो खायेंगे दीमक की तरह
तुमको अब कब तक इसका एहसास नहीं होता

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