Thursday, February 7, 2013

गौर से

फ़िलहाल एकतरफ़ा ही सही
मन से गुफ़्तगू में शामिल हूँ
कहते जाओ कोई बात नहीं
तुम्हारी बात मैं समझ रहा हूँ
तुम मेरी बात सुनो न सुनो
मैं बड़े ही गौर से सुन रहा हूँ
फिर कभी कहूँगा फुर्सत में
मैं अपनी बात सोच रहा हूँ
तुम में अभी हौसला कम है
इन हालात को समझ रहा हूँ
हौसला हो सुनने का जब तुम्हें
मैं वही इन्तजार कर रहा हूँ

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