Monday, February 11, 2013

राज़ की बात

मोहब्बत में नाकामयाबी का नहीं देखा
इससे बड़ा ज़श्न मनाना कभी यहाँ मैंने
वेलेंटाइन दिवस में प्यार का इज़हार भी
लगभग क़ामयाब भी होते देखा नहीं मैंने
इज़हार-ए -मोहब्बत का अपना तरीक़ा है
सिर्फ़ ये तरीका तक़दीर का नहीं देखा मैंने
माना कि इज़हार करना नहीं आता मुझे
उल्फत व मोहब्बत में फर्क न किया मैंने
इज़हार ख़ामोशी की ज़ुबां से हो सकता है
ऐसी नज़र का पारखी ढूँढना चाहा है मैंने
मुझे नहीं एतराज़ किसी के कोई तरीके पर
बस यही राज़ की बात बताना चाहा है मैंने

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