Friday, February 22, 2013

हुजूम

आज कोई दस्तक
चाहे कितनी ज़ोर की
नहीं पहुँच पाती है
दिल के दरवाज़े तक
बहुत शोर है इधर
कुछ सुनाई देता नहीं
कोई नहीं दिखाई देता
बड़ी दूर दूर तक
क्या बिडम्बना है
इतने लोग हुजूम में हैं
चेहरा पहचाना नहीं जाता
कितने पास तक

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