ख़ुद ही ख़ुद सह लेते हैं घुटन ये सब छुपा के
छलक जाते हैं आँसू जब ज़ज्बात बता देते
लोग बात बात में बहाने लगते हैं आँसू क्यों
वे सीधे दिल की ही बात क्यों नहीं बता देते
आँख नम हों तो समझने की बात है मग़र
आँसुओं की झड़ी हो कुछ भी नहीं कर पाते
आँसुओं की सच में अगर होती कोई क़द्र यहाँ
हम भी शायद सैलाब यूँ आँसुओं के बहा देते
संभाले रखना इन आँसुओं को अपने ज़रूर
अकेले में फिर भी कभी ये बड़े काम हैं आते
2 comments:
gam ho khush ankhe nam kar jate hae ansun
संभाले रखना इन आँसुओं को अपने ज़रूर
अकेले में फिर भी कभी ये बड़े काम हैं आते
ये बात याद रहेगी!
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