Monday, August 19, 2013

आँसू


ख़ुद ही ख़ुद सह लेते हैं घुटन ये सब छुपा के
छलक जाते हैं आँसू जब ज़ज्बात बता देते

लोग बात बात में बहाने लगते हैं आँसू क्यों
वे सीधे दिल की ही बात क्यों नहीं बता देते

आँख नम हों तो समझने की बात है मग़र
आँसुओं की झड़ी हो कुछ भी नहीं कर पाते

आँसुओं की सच में अगर होती कोई क़द्र यहाँ
हम भी शायद सैलाब यूँ आँसुओं के बहा देते

संभाले रखना इन आँसुओं को अपने ज़रूर
अकेले में फिर भी कभी ये बड़े काम हैं आते

2 comments:

poonam said...

gam ho khush ankhe nam kar jate hae ansun

अनुपमा पाठक said...

संभाले रखना इन आँसुओं को अपने ज़रूर
अकेले में फिर भी कभी ये बड़े काम हैं आते

ये बात याद रहेगी!