है देश यहाँ है देश उधर भी
ये परिवेश है जाना पहचाना
कौन न जायेगा उस पार कहे
सवाल है बिलकुल बचकाना
ये भी सच और वो भी सच है
दुनियाँ ये है बस आना जाना
दो दिन का है सब इधर उधर
कहीं हँसना यूँ हो चाहे हो रोना
यूँ ज़ीस्त के रंगों की महफ़िल
बस हँस लो जीना हो या मरना
मर के जी लो हँस के मर लो
है कौन किसे है किसने पहचाना
No comments:
Post a Comment