लोग अब यहाँ बेच रहे हैं
अपने ईमान के साथ साथ
मुल्क़ और इसकी हकीकत
हर रोज़ परीक्षा ले रहे हैं
हमारी सहनशीलता की
हर पल हमें आजमा रहे हैं
सब कुछ साफ़ कर सफ़ाई में
लफ़्ज़ों की कशीदाकारी से
अपने हुनर दिखा रहे हैं
हम अब भी इत्मीनान से
अपने पूरे होशो हवास में
मुस्कुराये जा रहे हैं
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