अब यहाँ अब बारिशों के मौसम बदल रहे हैं
ईद और तीज की दुआओं के दौर चल रहे हैं
तुम तो चले गए मंज़र से अचानक लेकिन
हम अब भी तुम्हें यहाँ नए हाल सुना रहे हैं
कहीं किसी फ़लक़ के कोने तक भी शायद
तुम्हे अब भी यहाँ के ख़्वाब दिखाई दे रहे हैं
पहुँचती तो होगी हमारे अल्फ़ाज़ की ये गूंज
हम यही सोच कर तुम्हे मुबारक़ भेज रहे हैं
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