Friday, December 12, 2014

अवशेष मात्र

बड़े गर्व से कहते थे हम
श्रेष्ठ विचार और सभ्यता
हमारी थाती रही है सदैव
दृष्टान्त दिया करते थे
इतिहास के पन्नों से
लेकिन अब चर्चा में है
बहुत कुछ बदला है यहाँ
मानो आयाम ही बदल गए
जीवन और संस्कृति के
चारों ओर कोलाहल है
अनाचार, दुराचार का
स्वार्थ के नग्न नृत्य का
मानो कि यहाँ केवल
अवशेष मात्र रह गए हैं
सभ्यता और संस्कृति के

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