हौसलों को मंज़िल का हवाला देते गए
दूर है मंज़िल ये एहसास तो हम को है
होगा नज़ारा एक दिन ये विश्वास भी है
कारवाँ अपने-अपने मंज़िलें भी अपनी
होंगे हम कामयाब तज़ुर्बा साथ तो है
नई डगर चल नई मंज़िल शायद आये
ये न सही वो सही भरोसे की बात तो है
लड़खड़ाते कदम बन सकते हैं ताक़त
और कुछ नहीं बस जज़्बे की बात है
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