Saturday, December 13, 2014

प्रासंगिक नहीं रहा

मेरे भी कुछ मित्र इधर
करते हैं सवाल मुझसे
कि मैं भी अब शायद
नहीं करता हूँ प्रायः
पुरज़ोर विरोध अब
व्यक्तियों, व्यवस्था का
पहले की तरह
मैं स्वयं भी स्वयं से
करता हूँ ये प्रश्न
ऐसा नहीं है कि
बदल गया हूँ मैं
कभी लगता है लेकिन
प्रासंगिक नहीं रहा अब
मेरा तरीका और सोच
फिर भी, सिद्धांततः
मेरा विरोध जारी है
व्यव्हार में भी
मैंने भी बदले हैं
अपने तौर तरीके


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