करते हैं सवाल मुझसे
कि मैं भी अब शायद
नहीं करता हूँ प्रायः
पुरज़ोर विरोध अब
व्यक्तियों, व्यवस्था का
पहले की तरह
मैं स्वयं भी स्वयं से
करता हूँ ये प्रश्न
ऐसा नहीं है कि
बदल गया हूँ मैं
कभी लगता है लेकिन
प्रासंगिक नहीं रहा अब
मेरा तरीका और सोच
फिर भी, सिद्धांततः
मेरा विरोध जारी है
व्यव्हार में भी
मैंने भी बदले हैं
अपने तौर तरीके
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