बढ़ती रिश्तों में ठंडक
जाने क्यों नहीं बदलती
बदलते मौसम की तरह
वसंत और गर्मी का
मानो कोई असर नहीं
पहले तो ऐसा न था
लोग प्रायः भूलते थे
बस कुछ ही पलों में
कड़वाहट और ठंडक
अब सब बदल गया है
स्थिरता का ज़माना है
तो फिर ऐसा क्यों है
गर्मी में असर कम क्यों
शायद अपेक्षा अधिक हैं
वो भी एकतरफा सी
स्वार्थ-सिद्धि के द्योतक
रिश्ते भी बन गए हैं
हमारी स्वतोन्मुख होती
मानसिकता के प्रतीक
No comments:
Post a Comment