इन व्यवस्थाओं से
जहाँ मिलती है पनाह
कामचोरों को हमेशा
भ्रष्ट और निकम्मों से
इनके जीवन के आयाम
सदाचार की आलोचना
दुराचारियों की जय
ये बहुमत में होकर
एकस्वर में गाते हैं राग
अपने व्यवहारिक होने के
सब में ही खोट होने के
भरपूर जीवन आनंद के
इनके भी सिद्धांत हैं
घिनौने और खोखले
हर अच्छाई से टकराते
इनकी दृष्टि में बस
अनैतिक की नैतिक हैं
बाकी सब मूढ़ हैं
ये शायद सफल भी हैं
लेकिन केवल
इनकी दृष्टि में
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