Friday, February 18, 2011

वापसी

फिर चलती तेज सर्द हवाओं के बीच
तुम्हारे वापस आने की खबर मुझे
एक गर्म मधुर सा एहसास करा गई
मानो कोई कुहासे को चीरती धूप सी
अँधेरे से निकाल प्रकाशमय करती
किसी पर्वत की मनोहर छटा को
बेरंग से नज़रों को रंगीन बनाती
मन में जीवंत उमंगों को जगाती
वातावरण में खुशबू बिखेरती सी
मेरे तन मन दोनों को हर्षाती हुई
जीवन के गीत फिर गाती हुई सी
तुम्हारे वापस आ जाने की खबर!

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