रोज़ रोज़ ही रंग बदलती
कुछ नए नए ये ज़िन्दगी
जिसके पीछे भागोगे तुम
वही बस कम देती ज़िन्दगी
हर हाल में समभाव रखोगे
तो नाचती रहेगी ये ज़िन्दगी
हर चीज में सब कुछ ढूंढोगे
तो नाच नचाएगी ज़िन्दगी
कभी कम कभी ज्यादा देती
पर ज़रूर सबरंग है ज़िन्दगी
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