Saturday, February 19, 2011

सबरंग

रोज़ रोज़ ही रंग बदलती
कुछ नए नए ये ज़िन्दगी
जिसके पीछे भागोगे तुम
वही बस कम देती ज़िन्दगी
हर हाल में समभाव रखोगे
तो नाचती रहेगी ये ज़िन्दगी
हर चीज में सब कुछ ढूंढोगे
तो नाच नचाएगी ज़िन्दगी
कभी कम कभी ज्यादा देती
पर ज़रूर सबरंग है ज़िन्दगी

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