इश्क परवान चढ़ा था कभी अपना
इन्तहा में अश्कों का सिलसिला है
मुझे तो रश्क है अपने इन अश्कों पर
ये भी तो मेरी मोहब्बत का सिला है
अपनों ने मेरे भांप लिया तन्हाई को
मुझे तो बस इस बात का गिला है
दर्द के एहसास भी मुझे मुबारक हैं
ये सब कुछ ही यहीं से तो मिला है
जाते जाते इतना ही मैं समझ लूँगा
खुशियाँ मिली और गम भी मिला है
जितना किस्मत में लिखा होगा मेरी
उससे बढ़कर कहीं मुझको मिला है
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