सदाचार की ही बातें करने वाले
अब एक नई आवाज़ उठा रहे हैं
भ्रष्टाचार के खिलाफ नेतृत्व की
उनकी मुहिम को देख कर मुझे
आशा की किरण तो दिखती है
किन्तु एक डर सा भी लगता है
हमेशा की तरह ही क्या मालूम
ये भी एक मरीचिका सिद्ध न हो
किसी 'राजनीतिक समझ' के तहत
जहाँ एक दुसरे की पीठ खुजाते
वे जनता को ठेंगा ही दिखा दें
फिर भी मैं आशावान ज़रूर हूँ
एक चेतना जगाना भी ज़रूरी है
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