Tuesday, June 7, 2011

अपरिहार्य

सुख-दुःख प्रत्येक को
समयानुसार मिलता है
सुख में भी यहाँ दुःख है
दुःख में भी कुछ सुख है
भिज्ञ व प्रबुद्ध लोग प्रायः
सुख़ में भी समभाव रख
सुख़ का आनंद ले लेते हैं
और दुःख में संयम रख
दुःख में सुख़ की तलाश
उनकी परिपक्वता और
वस्तुगत सोच परिचायक हैं
यूँ भी क्षणभंगुर जगत में
यही सोच अपरिहार्य है

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