कहीं दूर का सा होता है अंदेशा
किसी ने जो भेजा है संदेशा
ये आसमान इतनी दूर क्यों है
मुझमें पंछी से पर क्यों नहीं हैं
चलते चलते भी थक गया हूँ
ये मंजिल इतनी दूर क्यों है
हर तल्ख़ी से होता है अहसास
ये मेरा कोई इम्तहान सा क्यों है
कुछ बस्तियां वीरान चमन सी हैं
शायद बहारों के इंतज़ार में हैं
मैं भी बस इंतज़ार ही करूंगा
हर इम्तहान में खरा उतरूंगा
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