जब जब फूंका शँख किसी ने
काले धन को वापस लाने को
तब तब हुए हैं एकजुट सारे
संभ्रांत-भ्रष्ट इसे झुठलाने को
कागज़ में वो आश्वाशन दे देते
हम सब को भ्रमित कराने को
पुलिस की लाठी, गोली लेकर
आ जाते बस हमें डराने को
भ्रष्टों की कोई कमी नहीं है
चहुँ दिशा उन्हें बचाने को
उनके ही चलते मिलता है
उनको भी कुछ खाने को
बहिष्कार कर दो भ्रष्टों का
करो न बात समझाने को
हर जन का है फ़र्ज़ अभी ये
मैला समाज का धोने को
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