Wednesday, June 29, 2011

तलाश जारी

ये ज़िन्दगी जब तक है
मुसाफिर भी खूब होंगे
नित नए कारवाँ भी होंगे
ख़ुदी को तलाशते हुए से
हम ख़ुद पर ही यहाँ
हम हर रोज़ हँस लेंगे
लोगों की फितरत पर
कभी अपनी हसरत पर
कभी और कुछ नहीं तो
ज़माने पर ही हँस लेंगे
ख़ुद की कथनी-करनी के
बीच की दूरी पर हँस लेंगे
फिर भी तलाश जारी रहेगी
चाही-अनचाही अपनी व गैरों की
जब तक तुम और हम होंगे

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