मन तो ग्राहक बन गया है अब
दिल को भी खरीदना चाहता है
और ये दिल है कि कमबख्त
अब बिकना भी नहीं चाहता है
मन ने लाख समझाया था पर
दिल को तो कोई गुरेज नहीं है
किसी की बन्दगी के आगे वो
बेमोल बिक गया बतलाता है
बिका हो जो वो क्या बिकेगा
मन को अपनी बात बताता है
अब खुद को गिरवी रखा या
किसी की खरीद समझता है
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