Saturday, June 25, 2011

ऊँचाइयाँ

अर्श तक पहुँचने की चाहत में
मैं अब इतनी दूर निक़ल आया
कि बस अकेला ही पड़ गया हूँ
तनहाइयों में गुज़ारा करता हूँ
यहाँ अब मुझे डर सा लगता है
ऊंचाइयों से मैं उचाट हो गया हूँ
तारे इतने नजदीक नहीं हैं कि
जितना मैंने अब तक सोचा था
चाँद का रंग चाँदनी सा नहीं है
जैसा कि मैंने हरदम सोचा था
सूरज के करीब जाना संभव नहीं
ये तो एकदम उष्ण और तेजस है
मैं अपनी ज़मीन पर ही खुश था
और अब वहीँ लौटना चाहता हूँ

No comments: