अर्श तक पहुँचने की चाहत में
मैं अब इतनी दूर निक़ल आया
कि बस अकेला ही पड़ गया हूँ
तनहाइयों में गुज़ारा करता हूँ
यहाँ अब मुझे डर सा लगता है
ऊंचाइयों से मैं उचाट हो गया हूँ
तारे इतने नजदीक नहीं हैं कि
जितना मैंने अब तक सोचा था
चाँद का रंग चाँदनी सा नहीं है
जैसा कि मैंने हरदम सोचा था
सूरज के करीब जाना संभव नहीं
ये तो एकदम उष्ण और तेजस है
मैं अपनी ज़मीन पर ही खुश था
और अब वहीँ लौटना चाहता हूँ
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