Friday, June 17, 2011

गूंज

जो तुम सुनना चाह रहे हो
वो सब तो मैं कह चुका हूँ
मेरी ख़ामोशी में कहे गए शब्द
सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं
तुम्हारे लिए भी, अवश्य ही!
ये एक इम्तहान भी है, मानो
इनका आभास हुआ क्या तुम्हें
मैं परीक्षा नहीं लेना चाहता हूँ
पर मेरे शब्द गूंज रहे हैं
मेरे ही अन्दर; ज़ोरों से
और शायद तुम्हारे भी!

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