Monday, February 13, 2012

प्यार का इज़हार

दबी दबी सी साँसों में सही प्यार तो छुपा ज़रूर था
सुर हौले सही फ़िज़ा में मौशिकी का असर तो था
मचा कर शोर न भी किया मैंने प्यार का इज़हार
कहीं किसी शहनाई की धुन का सा ख़ुमार तो था
शर्मा कर कभी कभी कर दिया हो इनकार भी सही
दिलो जान में बसा प्यार का इकरार तो ज़रूर था
हमने चाहे पुकारा न हो नाम लेकर कभी तुम्हारा
पर दिल के हर छोर में बसा तुम्हारा नाम तो था

1 comment:

Unknown said...

हमने चाहे पुकारा न हो नाम लेकर कभी तुम्हारा
पर दिल के हर छोर में बसा तुम्हारा नाम तो था

बहुत सुंदर !!!