Monday, February 20, 2012

अज़ीब

मेरा अभिप्राय समष्टिगत हो
मेरे साथ असंख्य लोग जुड़ें हों
औरों की भी सोच ऐसी ही हो
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरी दैनंदिन दिनचर्या में सदा
अधिकांश लोग शामिल रहें
हमारी चर्चा सकारात्मक हो
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरे प्रयासों के फलस्वरूप
औरों के भी मार्ग प्रशस्त हों
उनका भी यही मंतव्य रहे
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरा यहाँ जो भी विद्यमान है
वो कभी मेरा मात्र नहीं है
इसलिए यहाँ मेरा कुछ नहीं है
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरा जीवन कोई रहस्यमयी
ज़हाज़ के पंछी की उड़ान भर है
इसमें कुछ भी स्थायित्व नहीं
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरा समस्त विश्व-सम्बन्ध
काल-चक्र की स्थिति मात्र हैं
औरों में भी कुछ नया नहीं हैं
ये लोगों को अज़ीब लगता है

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